छूटना है लाज़मी
छोड़ दो अपनी मर्ज़ी से
कब तक पकड़ कर रखोगे!
कुछ तो जाएगा ही
क्यूँ ना तुम ही पहल कर लो
छोड़ दो अपनी मर्ज़ी से।
संसार को पकड़ोगे तो परमात्मा छूट जाएगा
पैसे को पकड़ोगे तो समय छूट जाएगा
शिकायतें संभालोगे तो चैन छूट जाएगा।
कुछ तो जाएगा ही
क्यूँ ना तुम ही पहल कर लो
छोड़ दो अपनी मर्ज़ी से।
क्यूँ चिंता करते हो
उसकी जो छूट जाएगा
देखो क्या है यहाँ
इसी वक़्त सब मौजूद है।
आगे की सोचोगे
तो ये लम्हा छूट जाएगा।
पकड़ो वो जो तुम्हें भाए
दूसरों ने सिखाया जाने दो उसे।
कब तक सोओगे
अब तो जाग जाओ!
कुछ तो छूटना ही है
क्यूँ ना तुम ही पहल कर लो
छोड़ दो अपनी मर्ज़ी से।
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